मेरे विचार
चन्द्रराज सिंघवी ( उनके विचार )
राजस्थान की राजनीती को जातिगत राजनीती से अलग हटकर नहीं देखा जा सकताÐ जाति के आधार पर चाहे राजनैतिक पद हो या पंचायत से लेकर लोकसभा में प्रतिनिधित्व, आज तक निर्णय होता आया हैÐ श्री चंद्रराज सिंघवी की राजनैतिक सोच में जातिगत राजनीती को प्रमुख स्थान हैÐ उनका मानना है कि हम एक दूसरे की जाती का अपमान न करें उसे निचा दिखने का प्रयास नहीं होना चाहिए, परन्तु अपनी जाती के विकास एवं विस्तार के लिए प्रयासरत रहना जरुरी हैÐ चाहे उसके लिए संघर्ष करना हो या राजनिति करनी होंÐ
श्री चंद्रराज सिंघवी अमीर और गरीब को बराबर महत्व देते हैंÐ सरकार या समाज की सेवा गरीबी के अंतिम छोर तक पहुंचनी चाहिएÐ ऐसी अर्थव्यवस्था हो, जिसमे हर नागरिक को उसके अधिकार का हक मिलेंÐ कोई भी अपने अधिकार से वंचित न रहेंÐ चाहे वह गरीब है या अमीरÐ ऐश्वर्य का होना धन होने पर उसका उपयोग अपने लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए करना बिल्कुल गलत नहीं मानते, उनका कहना है कि जिसके पास कुछ है वह मर्यादा व सविंधान के दायरे में रहकर उसका उपयोग करें, इसमें कुछ गलत नहीं हैÐ
मुझसे-जुड़े

अपनी राजनैतिक यात्रा में मित्र बनाना तथा उसे निभाना स्वभाव रहा है, मित्र की कोई जाति-धर्म, लिंग तथा गरीब अमीर नहीं होता जो विचारों से सहमत हो, उसे मित्र बनाना तथा मन से उसके साथ रहना श्री सिंघवी का स्वाभाव व विचार हैÐ राजनिति में करीब सभी दलों के प्रमुख व शीर्ष नेताओं के राजनैतिक सामाजिक व व्यक्तिगत सम्पर्कों के कारण लोकप्रियता एवं विश्वसनीयता बढ़ी हैÐ
श्री सिंघवी अपनी जिंदगी में पारदर्शीता को महत्व देते हैंÐ संवाद व कार्य में पारदर्शीता का ही परिणाम है कि एक लम्बा राजनैतिक सफर तय करने के बावजूद न झुके,न रुके, न किसी की गुलामी की और न ही किसी के भरोसे रहेंÐ स्वयं लक्ष्य निर्धारित करते है एवं अपने सहयोगीयों अपनी नीतियों और अपनी राजनैतिक सोच से उसे पूरा करने मेंं जुट जाते हैÐ
राजनैतिक विषलेक्षण में विशेष स्थान रखने वाले श्री सिंघवी की इच्छा सब विचार धाराओं, सभी वर्ग एवं सभी समुदायों को साथ लेकर एक अच्छे समाज की, प्रदेश की विकाश यात्रा में भागीदारी निभाने की हैÐ
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