परिचय
श्री सिंघवी सन् 1964 में जोधपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे इसी के साथ-साथ नेशनल कॉंसिल ऑफ यूनिवर्सिटीज ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुने गए। आप जोधपुर विश्वविद्यालय के सीनेट के सदस्य भी रहे, सिंघवी की राजनीति के प्रति रुचि की प्रसंशा करते हुए मीनू मासानी ने उन्हें स्वतंत्र पार्टी संगठन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। इस पद पर रहते हुए महारावल लक्ष्मण सिंह जी के साथ सुरेन्द्र तापडिय़ा जी और देवकीनन्दन पाटोदिया जी के संसदीय चुनाव में जबरदस्त प्रचार किया और दोनों विजयी रहे जबकि कांग्रेस की हार हुई।
तत्पश्चात श्री नाथूरामजी मिर्धा के नेतृत्व में कांग्रेस की सदस्यता स्वीकार की। मुख्यमंत्री हरदेव जोशी ने इन्हें राजस्थान आवास वित्त विभाग के र्निदेशक पद पर मनोनयन किया एवं केबिनेट मंत्री स्तर का पद दिया। प्रदेश कार्यकारिणी में मुख्य संगठन सचिव का पद भी दिया। यह पद कांग्रेस में प्रथम बार सृजित हुआ, सिंघवी उसके बाद सक्रिय भूमिका में चर्चित रहे।
प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव बने। चुनाव के दौरान इन्हें मध्यप्रदेश प्रभारी बनाया गया, जिसे निभाते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण आठ मंत्रियों को निष्कासित कर महत्वपूर्ण एवं साहसी निर्णय लिया एवं अपने परिक्षण एवं निर्णय लेने की क्षमता को उजागर किया। बाद में पार्टी में मतभेद एवं राज्य के कुछ नेताओं से राजनैतिक प्रतिस्पर्धा के कारण कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया।
अपनी विचारधारा को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी में आए। भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष, नेशनल कार्यकारिणी में सदस्य, गोविंदाचार्य प्रभारी कार्यकाल में असोसिएट प्रभारी रहने के बाद राजस्थान की राजनैतिक विश्लेषण में ख्याति प्राप्त होने के परिणाम स्वरूप प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने एक विशेष पद राजनैतिक सलाहकार का सृजन किया और चन्द्रराज सिंघवी पहले राजनैतिक सलाहकार बने। इस कार्यकाल में लोकसभा व विधानसभा चुनावों में टिकट चयन, प्रचार-प्रसार और समन्वय की जिम्मेदारी दी गई। चुनाव से पूर्व 120 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को विजय का दावा करने वाले सिंघवी की बात पर किसी ने भरोसा नहीं किया, लेकिन परिणाम जब ठीक 120 सीट पर विजय होने पर आया तब सबने राजनैतिक विश्लेषण की सराहना की।

भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में 20 सूत्री कार्यक्रम समिति का अध्यक्ष बनाया गया, जो कि केबिनेट मंत्री स्तर का पद था। किन्तु पार्टी में उनके बढ़ते प्रभाव से उनका विरोध बढ़ा व पार्टी छोडऩी पड़ी। पार्टी छोड़ते ही बसपा के सहप्रभारी बने, किन्तु बसपा के हिन्दू देवी-देवता के विरूद्ध प्रचार से दुखी होकर बसपा को छोड़ दिया, इसके तुरन्त पश्चात उमा भारती की भारतीय जन शक्ति पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। कालान्तर में उमा भारती के पार्टी समाप्त करने के परिणाम स्वरूप इन्हें तुरन्त बाद जनता दल (जद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव जी ने राष्ट्रीय महासचिव पद पर नियुक्त किया। चन्द्रराज सिंघवी को जनता दल यूनाईट में अपनी सेवाएं देते हुए राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। गुजरात चुनावों में पार्टी के मुख्य मंत्री नितिश कुमार के नरेन्द्र मोदी विरोधी नितियों का सिंघवी ने जबरदस्त विरोध किया, जिसके परिणाम स्वरूप नितिश कुमार ने इन्हें पार्टी से निकाल दिया। शरद यादव ने एनडीए के संयोजक पद त्याग दिया और नितिश कुमार ने उनके साथ भी वही किया जो सिंघवी के साथ किया।
सिंघवी ने जदयू छोडऩे के बाद राजस्थान में कई पार्टीयों को मिलाकर तीसरा मोर्चा बनाया। 140 उम्मीदार चुनाव मैैदान में रहें, जिससे भारतीय जनता पार्टी को लाभ हुआ, किन्तु स्थानीय नेतृत्व के कारण पार्टी में नहीं गए।
सिंघवी की राजनैतिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्रों में भी अमूल्य योगदान की पहल रही है। माता-पिता के संस्कारों को अपने जीवन में पूर्ण महत्व देने, अहिंसा एवं वैश्य परम्पराओं को अपनी जीवन शैली में अपनाने वाले सिंघवी अखिल भारतीय वैश्य महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहते हुए समाज के लिए कार्य करने में चर्चित रहें। गरीब बच्चों की मदद, शिक्षा, चिकित्सा क्षेत्र में भागीदारी के साथ कृषकों के लिए उल्लेखनीय कार्य करने में प्रमुख भूमिका रही है एवं धार्मिक अनुष्ठान, मंदिरों के विकास में योगदान दिया।
सम्पूर्ण राजनैतिक जीवन में श्री नरसिम्हा राव जी, श्री वंसत दादा पाटिल जी, श्री नाथूराम मिर्धा जी, श्रीमति वसुन्धरा राजे सिंधिया का पूर्ण सहयोग एवं आर्शीवाद रहा, किन्तु पूरे जीवन में कभी भी सिंघवी ने अपने स्वाभिमान की कीमत पर पद की चाह पर प्रतिष्ठा को दाव पर नहीं लगाया।
वर्तमान राजस्थान की राजनीति में श्री चन्द्रराज सिंघवी के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर है, जिनके राज्य के करीब सभी दलों के प्रमुख व्यक्तियों से संबंध है एवं कई राजनेताओं के सलाहकार के रूप में जाने जाते है।
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